ترنتيوس

 

الأعمال المسرحيّة

 

1- فتاة أندروس

 

حواش 

 

 

 

 

 

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5

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3

2

1

مقدّمة

 

 

 

الفصل الثّاني

 

المشهد الأوّل* (301-337)

خارينوس، برّيا، بنفيلوس

خارينوس: ماذا تقول يا برّيا؟ أصحيح أنّها تزفّ اليوم لبنفيلوس؟

برّيا     : نعم هو كذلك.

خارينوس: كيف تعلم ذلك؟

برّيا     : سمعته من داووس قبل قليل عند القصبة*.

خارينوس: ويلي ما أتعسني. حتّى هذه اللّحظة ظلّت نفسي متأرجحة بين الأمل والخوف. أمّا الآن بعد ضياع الرّجاء، فهي منذهلة منهارة نهب للهواجس.

برّيا     : بحقّ بولكس* أرجوك يا خارينوس بما أنّ ما تريد غير ممكن فلتردْ ما هو ممكن.

خارينوس: لا أريد سوى فيلومينة.

برّيا     : أفضلُ لك بكثير أن تبذل ما في وسعك لتجتثّ من قلبك هذا الهوى، من قول ما يؤجّج وجدك سدى.

خارينوس: سهل علينا كلّنا إذا كنّا أصحّاء تقديم نصائح قويمة للمرضى. لو كنت مكاني لفكّرت بنحو مختلف.

برّيا     : حسنا، حسنا، كما تشاء.

خارينوس: لكن أرى بنفيلوس. يقينا سأحاول كلّ شيء قبل أن أهلك.

برّيا     : ماذا ستفعل؟

خارينوس: سأترجّاه مباشرة، سأتوسّل إليه، سأحكي له قصّة حبّي. أظنّ أنّي سأحصل منه على الأقلّ على تأجيل زواجه بضعة أيّام، آمل أن يحصل في غضونها شيء ما.

برّيا     : "شيء ما" هذا هو لا شيء على الإطلاق.

خارينوس: برّيا ما رأيك، أأذهب إليه يا ترى؟

برّيا     : وما المانع؟ إن لم تحصل منه على شيء، فليفكّر أنّه في حال زواجه قد أعدّ عشيقا لزوجته.

خارينوس: اذهب في داهية مع تخرّصاتك يا لئيم.

بنفيلوس: أرى خارينوس. سلاما.

خارينوس: سلاما يا بنفيلوس. جئتك ألتمس منك الأمل والخلاص، والعون والنّصيحة.

بنفيلوس: لا محلّ عندي للنّصيحة وحقّ بولكس*، ولا وسيلة للعون. لكن قل لي: ما حاجتك؟

خارينوس: أصحيح أنّك تتزوّج اليوم؟ بنفيلوس، إن تفعل ذلك فستراني اليوم لآخر مرّة.

بنفيلوس: ولِم ذلك؟

خارينوس: يا ويلتي، أخشى أن أقولها. قل له أرجوك يا برّيا.

برّيا     : سأقول.

بنفيلوس: ما الخبر؟

برّيا    : إنّه يحبّ خطيبتك.

بنفيلوس: ليس له كما أرى نفس مشاعري. لكن قل لي: هل كان بينك وبينها أكثر من ذلك يا خارينوس؟

خارينوس: كلاّ يا بنفيلوس، لا شيء.

بنفيلوس: ليته كان.

خارينوس: أناشدك إذن بصداقتنا ومودّتنا من البدء ألاّ تتزوّجها.

بنفيلوس: تأكّد أنّي سأبذل قصارى جهدي.

خارينوس: لكن إن لم يمكن، أو إن كان الزّواج عزيزا على قلبك...

بنفيلوس: على قلبي؟

خارينوس: فعلى الأقلّ أجّله بضعة أيّام ريثما أرتحل إلى مكان بعيد فلا أراه.

بنفيلوس: اسمعني الآن يا خارينوس: أرى من واجب الحرّ ألاّ يطلب جميلا إن كان لا يستحقّ شيئا. إنّي زاهد في الزّواج بها قدر ما أنت راغب فيه.

خارينوس: أعدت لي الرّوح.

بنفيلوس: والآن إن استطعتما أنت أو برّيا عمل شيء ما فافعلا، استنبطا، ابتكرا، نفّذا* ما يكفل أن يعطيها لك أبوها، وأنا من جهتي سأعمل على ألاّ يعطيها لي.

خارينوس: هذا منك يكفيني.

بنفيلوس: ها أنا أرى في الوقت المناسب داووس الّذي نصائحه عدّتي وعمدتي.

خارينوس: ( مخاطبا برّيا) أمّا أنت فلا تعلّمني شيئا وحقّ هرقل* إلاّ ما لا حاجة بتاتا إلى معرفته. إليك عنّي.

برّيا     : حسنا، وبكلّ سرور. ( ينصرف)

 

المشهد الثّاني (338-403)

داووس، خارينوس، بنفيلوس

داووس  : ( مخاطبا نفسه دون رؤية خارينوس وبنفيلوس) أيّها الآلهة الأخيار، أيّة خبر خيرٍ أحمل؟ لكن أين ترى سأجد بنفيلوس لأستأصل الخوف الّذي هو الآن فيه، وأملأ نفسه فرحا.

خارينوس: ( مخاطبا بنفيلوس) لسبب ما أراه مبتهجا.

بنفيلوس : كلّ ما في الأمر أنّه لم يعلم بعد بهذه المصائب.

داووس  : ( مخاطبا نفسه) أحسبه الآن، إن سمع من قبل بإعداد زفافه...

خارينوس: ( مخاطبا بنفيلوس) أتسمعه؟

داووس  : ( مواصلا) يبحث عنّي لاهثا في المدينة كلّها. لكن أين سأبحث عنه؟ أين أتوجّه الآن بالأوْلى؟

خارينوس: ( مخاطبا بنفيلوس) ماذا تنتظر لتكلّمه؟

داووس  : ( مخاطبا نفسه) وجدت.

بنفيلوس : داووس، قف وتعال إلى هنا.

داووس   : من ذا الذي...؟ وي! بنفيلوس، عنك أبحث. مرحى يا خارينوس. وجدتكما معا في الوقت المناسب، فإنّي أريد التّحدّث إليكما.

بنفيلوس : هلكتُ يا داووس.

داووس  : استمع بالأحرى إلى ما عندي.

خارينوس: انتهيت.

داووس  : أعرف ما تخشى.

بنفيلوس : حياتي وحقّ هرقل* الآن في شكّ يقيناً* .

داووس  : وأعرف ما تخشى أنت أيضا.

بنفيلوس : سيزفّون لي...

داووس  : أعلم.

بنفيلوس : اليوم...

داووس  : تزعجني. أفهم كلّ ذلك. ( مشيرا إلى خارينوس ثمّ إلى بنفيلوس) أنت تخاف ألاّ تتزوّجها أمّا أنت فتخاف أن تتزوّجها.

خارينوس: فهمتَ الموقف بالضّبط.

بنفيلوس : هو ذاك بالتّحديد.

داووس  : وذاك بالتّحديد لا خوف منه مطلقا. انظر إليّ.

بنفيلوس : أرجوك، خلّصني بسرعة من هذا الخوف الذي أعاني منه عذابا لا يوصف.

داووس  : هأنذا أخلّصك منه: خريمس لا يعطيك ابنته.

بنفيلوس : كيف تعلم ذلك؟

داووس  : أعلمه. استوقفني السّاعة أبوك فقال إنّه سيزوّجك اليوم وعدّة أشياء أخرى لا مجال الآن لسردها. جريت إلى القصبة* فورا لأخبرك. لم أجدك هناك فصعدت على تلعة وأجلت بصري فلم أر لك أثرا. رأيت صدفة عبده برّيا. سألته فنفى أن يكون قد رآك. انزعجت فأخذت أفكّر في ما أصنع. عند إيابي داخلني شكّ أوحى به الوضع في حدّ ذاته: عجبا ليس عندنا إلاّ قليل من المؤن والشّيخ حزين ويريد فجأة إتمام الزّواج: هذه الوقائع غير متماسكة.

بنفيلوس : أين تريد الوصول؟

داووس  : لذلك ذهبت فورا إلى بيت خريمس. لمّا وصلت كانت السّاحة أمام البيت خالية يخيّم عليها السّكون: ففرحت.

خارينوس: كلام معقول.

بنفيلوس : واصل.

داووس  : مكثت فلم أر أحدا يدخل أو يخرج ولا سيّدة بالبيت ولا زينة ولا هرجا ومرجا. دنوت ونظرت إلى الدّاخل.

بنفيلوس : أعلم: علامة واضحة.

داووس  : أفتتماشى هذه المظاهر مع عرس؟

بنفيلوس : أظنّ أن لا يا داووس.

داووس  : تقول "أظنّ"؟ أخطأت المرمى. فالمسألة واضحة كالشّمس في طالعة النّهار. ثمّ إنّي قابلت وأنا أرحل من هناك غلاما لخريمس كان يحمل خضرا وأسماكا صغيرة لعشاء الشّيخ.

خارينوس: خلصت اليوم بفضلك يا داووس.

داووس  : كلاّ، على الإطلاق.

خارينوس: كيف ذلك؟ بما أنّه لا يعطيها له.

داووس  : يا للسّخف! كما لو كان حتميّا إن لم يعطها له أن تتزوّجها أنت، إن لم تحتط للأمر، إن لم تترجّ وتستمل أصحاب الشّيخ.

خارينوس: حسنا فعلتَ بتنبيهي: سأذهب، حتّى وإن خيّب أملي وحقّ هرقل* من قبل مرارا. سلاما. ( ينصرف)

بنفيلوس : ماذا يقصد أبي إذن؟ لم هذا التّمثيل؟

داووس  : سأقول لك. لو كان الآن ناقما عليك لأنّ خريمس لم يعطك ابنته، لبدا ظالما حتّى لنفسه- وهو لا يخطئ في ذلك- قبل أن يتبيّن حقيقة نواياك حول هذا الزّواج. لكن إن رفضتَ الزّواج، فسيحمّلك إذّاك المسؤوليّة، وستتعرّض عندئذ إلى تلك المتاعب.

بنفيلوس : سأتحمّل كلّ المصاعب.

داووس  : ذلك هو أبوك يا بنفيلوس: رجل صعب المراس، وهي امرأة بلا سند. سيجد، قارناً الفعل والقول، ذريعة ما ليقصيها عن المدينة.

بنفيلوس : يقصيها؟

داووس  : بأسرع ممّا تتصوّر.

بنفيلوس : قل لي إذن ماذا أصنع يا داووس.

داووس  : قل إنّك ستتزوّجها.

بنفيلوس : ماذا؟

داووس  : ما المشكل؟

بنفيلوس : أنا أقول ذلك؟

داووس  : ولم لا؟

بنفيلوس : لن أفعل أبدا.

داووس  : لا ترفض.

بنفيلوس : لا تحاول إقناعي.

داووس  : فكّر في عاقبة موقفك.

بنفيلوس : أن أُفصَل عن تلك، وأُرتهن* لهذه؟

داووس  : ليس الأمر كذلك. بل سيكون في ظنّي بهذا النّحو: سيقول لك أبوك: "أريد تزويجك اليوم." فتقول: "سمعا وطاعة، أتزوّج."قل لِم يؤنّبك إذّاك. ستربك إذّاك خططه الثّابتة الآن ولا خطر عليك. فلا شكّ أنّ خريمس لن يعطيك ابنته، لذا لن تقلع عن علاقتك كيلا يغيّر رأيه. قل لأبيك إنّك ترغب فلا يمكنه، إن شاء، وجود مبرّر مشروع للغضب عليك. أمّا ما تؤمّل قائلا لنفسك: "بسلوكي سأبعد عنّي أيّة امرأة بسهولة ولن يرضى أحد بتزويجي ابنته"، فإنّ أباك سيجد فتاة معدمة مؤثرا ذلك على تركك للمفاسد. لكن إن رآك تقبل بطيبة خاطر، فسيهتمّ أقلّ بالأمر ويبحث على مهل عن زوجة أخرى، وفي الأثناء سيجدّ أمر ما في صالحنا.

بنفيلوس : أتعتقد أنّ الأمر كذلك؟

داووس  : بدون أدنى شكّ.

بنفيلوس : فكّر جيّدا في ما تجرّني إليه.

داووس  : هلاّ سكتّ؟

بنفيلوس : سأقول كما أشرت عليّ. لكن حذار أن يعلم بأنّ لي ولدا منها. فقد وعدت بالاعتراف به.

داووس  : يا للتّصرّف الطّائش!

بنفيلوس : لقد ترجّتني أن أعطيها عهدا بذلك لتثق بأنّي لن أتخلّى عنها.

داووس  : سأعتني بالموضوع. لكن هذا أبوك آتيا نحونا. حذار أن يشعر بأنّك حزين.

 

المشهد الثّالث (404-411)

سيمون، داووس، بنفيلوس

سيمون  : ( مخاطبا نفسه) أعود لأرى ما يفعلان وأيّ قرار يتّخذان.

داووس  : ( مخاطبا بنفيلوس) إنّه الآن لا يشكّ في رفضك للزّواج. هو ذا يأتي من مكان ما للتّفكير في موضع خال. ويرجو أنّه وجد الكلام الّذي سيفحمك به، فحاول أن تتمالك نفسك.

بنفيلوس : فقط قدر مستطاعي، يا داووس.

داووس  : صدّقني إذ أقول لك يا بنفيلوس إنّ أباك لن يتبادل معك كلمة واحدة إن أعلنت له أنّك تقبل الزّواج.

 

المشهد الرّابع (412-431)

برّيا، سيمون، داووس، بنفيلوس

برّيا     : ( مخاطبا نفسه) أمرني سيّدي أن أتفرّغ اليوم لمراقبة بنفيلوس لأعرف ما سيفعل بشأن زفافه. وهأنذا لذلك السّبب أتبعه إلى هنا حيث أتى. ها هو بالتّحديد أمامي. سأنفّذ مهمّتي.

سيمون  : ( مخاطبا نفسه) أراهما الاثنين هنا.

داووس  : ( مخاطبا بنفيلوس) ويحك، انتبه.

سيمون  : بنفيلوس.

داووس  : ( مخاطبا بنفيلوس) انظر صوبه كما لو لم تكن تدري بوجوده.

بنفيلوس : ( متظاهرا بالمفاجأة) ويك. أبي.

داووس  : ( مخافتا) جيّد.

سيمون  : أريدك أن تتزوّج اليوم كما قلت لك.

برّيا      : ( مخاطبا نفسه) أنا الآن في خوف على صفّنا ممّا سيجيب.

بنفيلوس : لن أعصي لك أمرا، لا بهذا الشّأن ولا بغيره.

برّيا      : ( مخاطبا نفسه) عجبا!

داووس   : ( مخاطبا نفسه) خرس.

برّيا      : ( مخاطبا نفسه) ماذا قال؟

سيمون   : أنت تتصرّف كما يجدر بك إذ تلبّي طلبي بطيب خاطر.

داووس   : ( مخاطبا نفسه) أأنا محقّ؟

برّيا      : ( مخاطبا نفسه) أضاع سيّدي تلك المرأة حسب ما أسمع.

سيمون  : والآن اذهب إلى البيت كي تكون عند الطّلب لدى الحاجة.

بنفيلوس : أنا ذاهب. ( ينصرف)

برّيا      : ( مخاطبا نفسه) أما لأحد من عهد قطّ؟ صحيح ذلك القول* الّذي يقوله النّاس أنّ كلاّ يؤثر نفسه على غيره. رأيت مرّة تلك الفتاة فبدت لي رائعة الجمال، إذّاك تفهّمت أكثر بنفيلوس في إيثاره أن يكون هو لا الآخر من يحتضنها للنّوم. سأذهب لأخبره بما سمعت، وإن كان سينالني منه سوء على هذا الخبر السّيّء. ( ينصرف)

 

المشهد الخامس (432-458)

داووس، سيمون

داووس  : ( مخاطبا نفسه) إنّه الآن يحسبني أحمل له مكيدة، ولهذا السّبب تخلّفت هنا.

سيمون  : ماذا يقول داووس؟

داووس  : لا شيء الآن.

سيمون  : لا شيء؟ حقّا؟

داووس  : لا شيء على الإطلاق.

سيمون  : لكن كنت حقّا أنتظر خبرا منك.

داووس  : ( مخاطبا نفسه) أحسّ أنّ الأمور جرت بغير ما كان يشتهي: أفحمه الرّدّ وقلب حساباته.

سيمون  : أيمكنك أن تصدقني القول؟

داووس  : لا شيء أيسر من ذلك.

سيمون  : ألا يضايقه هذا الزّواج، بسبب علاقته بتلك الغريبة؟

داووس  : أبدا وحقّ هرقل*، وإن حصل فكدر يومين أو ثلاثة، تعرف؟ ثمّ سيتوقّف. فقد قلّب الأمر فعلا في ذهنه بطريقته الخاصّة

سيمون  : وأنا أُكبِر منه ذلك.

داووس  : طالما أبيح له وأتاح له العمر أن يتسرّى، فعل. لكنّه استتر واحترس ألاّ تجلب له علاقته أيّ ذمّ كما يليق برجل محترم. أمّا الآن فهو بحاجة إلى زوجة: لذا صبّ كلّ اهتمامه على الزّوجة.

سيمون  : بدت لي عليه مسحة من الحزن.

داووس  : لا بسبب هذه المسألة، لكن هناك ما يبرّر موجدته عليك.

سيمون  : ما ذلك؟

داووس  : صبيانيّات.

سيمون  : ما هي؟

داووس  : لا شيء.

سيمون  : ألا أخبرتني ما هي؟

داووس  : قال إنّك أفرطت في الضّغط على الإنفاق.

سيمون  : أنا؟

داووس  : أنت طبعا. قال: لقد اشترى بالكاد مقدار عشرة دراهم من المؤن كأنّه لا يزوّج ابنه. من من رفاقي أدعو إلى الحفل تفضيلا على غيره؟ وأظنّك فعلا- إن تسمح لي بإبداء رأيي- بالغت في الاقتصاد وهو ما لا أمدحك عليه.

سيمون  : دعك من هذا.

داووس  : ( مخاطبا نفسه) زعزعتُه.

سيمون  : سأحرص على أن يتمّ كلّ شيء حسب الأصول. ( مخاطبا نفسه) ما هذا الأمر؟ ماذا يريد الدّاهية؟ إن يكن من سوء هنا، فهذا لعمري رأس كلّ بلاء.

 

 

الفصل الثّالث

 

المشهد الأوّل (459-480)

ميسيس، سيمون، داووس، لسبية، غلكريوم ( من الدّاخل)

ميسيس : ( مخاطبة مرافقتها) الأمر كما قلتِ تماما يا لسبية وحقّ بولكس*. لا نكاد نجد رجلا وفيّا لامرأة.

سيمون  : ( مخاطبا داووس) هذه خادمة من بيت فتاة أندروس*.

داووس  : عفوا، ماذا تقول؟ آ، هي كذلك.

ميسيس : ( مواصلة حديثها) لكنّ بنفيلوس هذا...

سيمون : ( مخاطبا داووس) ماذا تقول؟

ميسيس : ( مواصلة حديثها) كان عند حسن الظّنّ.

سيمون : ( مخاطبا نفسه) تبّا!

داووس : ( مخاطبا نفسه) ليته يصير أصمّ أو هي بكماء.

ميسيس : ( مواصلة) فقد أوعز إليها بتربية المولود.

سيمون : ( مخاطبا نفسه) وايوبتر*! ماذا أسمع؟ قضي الأمر إن صدقتْ في ما تقول.

لسبية   : ( مخاطبة ميسيس) شابّ شهم حسب ما تذكرين.

ميسيس : ( مخاطبة لسبية) قمّة الشّهامة. لكن هيّا اتبعيني إلى الدّاخل كيلا تتأخّري عليها. ( تدخل)

لسبية  : ( تدخل خلفها إلى بيت غلكريوم) هأنذا أتبعك.

داووس : ( مخاطبا نفسه) أيّ علاج أجد الآن لهذه المصيبة؟

سيمون : ( مخاطبا نفسه) ماذا؟ هل فقد صوابه؟ من غريبة؟ الآن أفهم: أخيرا أدركت، يا لي من مغفّل.

داووس : ( مخاطبا نفسه) ماذا يقول إنّه أدرك؟

غلكريوم: ( من الدّاخل) يا يونون* لوكينة* أمدّيني بعونك واحفظيني! أتوسّل إليك*.

سيمون : ( مخاطبا داووس) أبهذه السّرعة؟ مضحك: بعدما سمعتْ بأنّي واقف أمام بابها، سارعت بتمثيل دورها. لم تُجِد الإخراج يا داووس من حيث توقيت الأدوار.

داووس : ألي أنا تقول ذلك؟

سيمون : أنسي تلاميذك ما لقّنتهم؟

داووس : لا أدري عمّا تتحدّث.

سيمون : ( مخاطبا نفسه) لو بغتني بهذا في غمار عرس حقيقيّ، كم كانت التّمثيليّة ستربكني. الآن صار هو في خطر، أمّا أنا فمركبي يرود مياه الميناء.

 

المشهد الثّاني (481-532)

لسبية، سيمون، داووس

لسبية : ( تخرج مخاطبة شخصا بالدّاخل) حتّى الآن أرى يا أرخليس كلّ المؤشّرات الّتي تبشّر عادة بالبرء مجتمعة لديها. نظّفيها أوّلا ثمّ أعطيها تشرب ما أمرتك وبالمقدار الذي وصفت لك*. سأعود بعد قليل. ( مخاطبة نفسها) صبيّ حلو وحقّ كستور* وُلد لبنفيلوس. أدعو الآلهة أن يحفظوه له فهو طيّب الطّبع إذ نزه بنفسه عن إلحاق سوء بهذه الفتاة الطّيّبة. ( تنصرف مسرعة)

سيمون : ( مخاطبا داووس) وهذا، من يعرفك ولا يظنّه من ابتداعك؟

داووس : كيف ذلك؟

سيمون : لم تكن تصف بالدّاخل أمام صاحبتها ما يلزم عمله للنّفساء، وبعدما خرجت أخذت تمليه من الشّارع* بأعلى صوتها. ألهذا الحدّ تستنوكني يا داووس؟ أأبدو لك إذن أهلا لتخدعني بخزعبلاتك بنحو مفضوح؟

داووس : ( مخاطبا نفسه) إنّه وحقّ هرقل* يخدع نفسه وما أنا الّذي أخدعه.

سيمون : أما نهيتك عن فعل ذلك وحذّرتك؟ فهل خشيتَ عقابي؟ ما الّذي دفعك إلى هذا؟ أتريدني الآن أن أصدّق أنّها وضعت مولودا من صلب بنفيلوس؟ 

داووس : ( مخاطبا نفسه) أفهم من أين أتى خطأه وعندي ما يجب أن أفعل.

سيمون : لماذا لا تتكلّم؟

داووس : ما الّذي يجعلك تظنّ ذلك؟ كما لو لم يتمّ إنذارك من قبل بأنّ الأمور ستجري بهذا النّحو.

سيمون : وهل أخبرني أحد؟

داووس : ألستَ أنت الّذي فهمت أنّ هذا تمثيل في تمثيل؟

سيمون : أنتم تهزؤون منّي.

داووس : لقد اُنذرتَ قطعا وإلاّ فكيف تطرّقت هذه الظّنّة إليك؟

سيمون : كيف؟ ببساطة لأنّي كنت أعرفك.

داووس : كأنّك تزعم أنّ هذا تمّ بتدبيري.

سيمون : أنا واثق من ذلك فعلا.

داووس : أنت يا سيمون لا تعرف حتّى الآن جيّدا من أنا.

سيمون : أنا لا أعرفك؟

داووس : المشكلة أنّي حالما أبدأ أحدّثك بشيء تتصوّر أنّي أخدعك.

سيمون : أخطئ من دون شكّ!

داووس : لهذا السّبب لم أعد أجرؤ وحقّ هرقل* على التّفوّه بشيء أمامك.

سيمون : أنا واثق من شيء واحد: هو أنّ أحدا لم يلد هنا.

داووس : فهمتَها. مع ذلك سيُؤتى بالصّبيّ أمام الباب قريبا. ها أنا أخبرك بهذا مسبقا يا سيّدي لتكون على علم، ولا تزعم في ما بعد أنّ ذلك تمّ بإشارة داووس أو حيله. أريد انتزاع فكرتك هذه عنّي من رأسك تماما.

سيمون : من أين تعلم ذلك؟

داووس : سمعت، وأصدّق ما يقال لي. تتظافر عدّة قرائن لتجعلني أسلّم بهذا الافتراض. ادّعت الفتاة سابقا أنّها حامل من بنفيلوس: كان كذبا. ولمّا رأت الآن إعدادات الزّفاف في البيت على قدم وساق، أرسلت خادمتها فورا لتحضر قابلة، وتحمل معها صبيّا في نفس الوقت. إن لم يتَح لك أن ترى الطّفلّ فلا تغيير في برنامج الزّفاف.

سيمون : ماذا تقول؟ لمّا تفطّنتَ إلى أنّها وضعت تلك الخطّة، فلماذا لم تخبر بنفيلوس فورا؟

داووس : ومن سواي ترى أبعده عنها؟ فكلّنا نعلم كم كان متيّما بحبّها، بينما صار الآن يرغب في زوجة. على أيّة حال دع لي هذه المسألة، وفي الأثناء واصل الإعداد للزّفاف كما تفعل وأرجو أن يكون الآلهة في عوننا.

سيمون : بل عد إلى البيت وانتظرني هناك، وأعدّ ما نحتاج إليه. ( مخاطبا نفسه بعد ذهابه) لم يجرّني السّاعة إلى تصديق أقواله تماما. لا أدري إن كانت كلّها صحيحة. لكن لا يهمّ ذلك. أَهَمّ لديّ وبكثير ما وعدني به ابني. سأقابل الآن خريمس وأطلب ابنته لابني. إن حصلتُ على ذلك فأيّ يوم أفضّل على هذا لإتمام الزّفاف؟ لا شكّ أنّ بوسعي إكراه ابني وبحقّ لو أبى الوفاء بوعده. ها هو تحديدا يأتي ناحيتي في الوقت المناسب.

 

المشهد الثّالث (533-580)

سيمون، خريمس

سيمون : أقرئ خريمس...

خريمس: واها. إيّاك أنشد.

سيمون : وأنا إيّاك أنشد. جئتَ في الوقت المناسب.

خريمس: سمع منك جماعة حسب قولهم أنّ ابنتي تزفّ اليوم لابنك، فجئت لأعرف مصدر اللّغو: هم أم أنت.

سيمون : اسمع أوّلا منّي بضع كلمات، وستعلم ما أريد منك وما تبحث عنه.

خريمس: ها أنا أسمع فقل ما تريد.

سيمون: أناشدك يا خريمس باسم الآلهة وبصداقتنا الّتي بدأت منذ صغرنا ونمت بتقدّمنا في السّنّ، وبابنتك الوحيدة وابني الّذي تملك كامل القدرة على إنقاذه، أن تساعدني في هذه المشكلة، وأن تسمح بإتمام الزّواج كما كان مقرّرا منذ زمن.

خريمس: ويك، لا تتوسّل، كما لو كان لزاما أن تترجّاني لتحصل منّي على ما تريد. أتتصوّرني اليوم مختلفا عمّن كنت يوم أعطيتها له؟ إن كان في مصلحتهما معا أن يتمّ الزّواج، فمرْ بإحضاره. لكن إن كان فيه لكليهما من الشّرّ أكثر ممّا فيه من الخير، فأرجوك أن تفكّر معي كما لو كانت ابنتك وكما لو كنتُ أنا أب بنفيلوس.

سيمون : لكن هذا بالتّحديد ما أودّ وأتمنّى يا خريمس ولن أطلب منك شيئا إن لم تُمْله المصلحة.

خريمس: ماذا وراءك؟

سيمون : بين غلكريوم وابني خصومة.

خريمس: أفهم.

سيمون : خصومة كبرى تجعلني آمل الفصل بينهما.

خريمس: هراء.

سيمون : بل الأمر كذلك تماما.

خريمس: بل الأمر وحقّ هرقل* كما أقول لك: خصومات المحبّين صحّة الحبّ*.

سيمون : أرجوك، لنستبِقِ الأحداث ونتدخّلْ ما دام هناك مجال وبينما تطمس الحبَّ خلافاتهما، قبل أن تحجّر قلبيهما بالضّغينة مكائد هؤلاء الماكرات ودموعهنّ الزّائفة: لنزفّها له. فلي أمل يا خريمس أن تغلب في النّهاية وشائج الألفة ورفعة هذا الزّواج تمنّعه وينتزع نفسه بسهولة من هذه الأسقام.

خريمس: ذاك ما يبدو لك. أمّا أنا فما أظنّ ممكنا أن يحتفظ بها مدى الحياة ولا أن أتحمّل أنا الوضع طويلا.

سيمون : كيف تعلم ذلك إن لم تُجر التّجربة؟

خريمس: لكنّ إجراء تجربة كهذه على ابنتي مسألة خطيرة.

سيمون : كلّ خطر هنا يكمن في إمكانيّة انفصالهما لاحقا لا سمح الآلهة. لكن إن أصلحنا ذات بينهما، فانظر كم في ذلك من الفوائد: أوّلا ستردّ لصديقك ابنه من الضّياع وستجد لنفسك صهرا شريفا ولابنتك زوجا وفيّا.

خريمس: ماذا أقول لك؟ إن اقتنعتَ بأنّ في ذلك نفعا، فلا أريد أن أقف حاجزا دونك وأيّة مصلحة.

سيمون : لقد نظرت إليك دوما بفائق التّقدير كما تستحقّ يا خريمس.

خريمس: لكن أخبرني.

سيمون : ماذا؟

خريمس: من أين تعلم أنّهما متخاصمان؟

سيمون : ذاك ما أخبرني داووس نفسه المطّلع على أسرارهما. وقد أشار عليّ بالتّعجيل بالزّفاف قدر المستطاع. أتظنّه كان سيشير بذلك لو لم يكن يعلم أنّ ابني راغب في الزّواج؟ على أيّة حال ستسمع حالا أقواله بنفسك. ( مخاطبا بعض عبيده) اسمعوا، نادوا لي على داووس. ( مخاطبا خريمس) هوذا يخرج من الباب.

 

المشهد الرّابع (580-606)

داووس، سيمون، خريمس

داووس : كنت ذاهبا في طلبك.

سيمون : لم ذلك؟

داووس : لماذا لم يذهب أحد لإحضار العروس؟ فقد حلّ المساء.

سيمون : ( مخاطبا خريمس) أتسمع؟ ( مخاطبا داووس) تعرف يا داووس، في السّابق خشيت منك أن تفعل بي ما يفعل عامّة العبيد عادة، أن تخدعني بحيل وألاعيب لأنّ ابني يعشق امرأة.

داووس : أنا أفعل مثل ذلك؟

سيمون : ظننت بك، ولفرط خوفي من ذلك أخفيت عنكم ما سأقول لك الآن.

داووس : ماذا؟

سيمون : ستعرف، فالآن صرت أثق بك إلى حدّ ما.

داووس : أخيرا عرفتني على حقيقتي.

سيمون : لم يكن بنيّتي إتمام الزّفاف اليوم.

داووس : كيف؟ لم يكن بنيّتك؟

سيمون : لكنّي لذلك السّبب موّهت عليكم لأختبركم.

داووس : ماذا تقول؟

سيمون : هو كذلك تماما.

داووس : واعجبا لي لم أستطع فهم اللّعبة. يا للخطّة الذّكيّة!

سيمون : اسمع ما سأقول لك: حين أمرتك السّاعة بالذّهاب إلى البيت، لاح لي خريمس في الأوان.

داووس : ( مخاطبا نفسه) يا ويلتى! هل حبطت خطّتنا؟

سيمون : فقصصت عليه ما رويت لي قبل ساعة.

داووس : ( مخاطبا نفسه) ماذا أسمع؟

سيمون : وطلبت منه ابنته زوجة لابني، وحصلت على حاجتي بمشقّة.

داووس : ( مخاطبا نفسه) هلكت.

سيمون : عفوا ماذا قلت؟

داووس : أقول يا حبّذا.

سيمون : لا مانع عنده بعد.

خريمس: سأذهب إلى البيت فورا وأقول لها أن تحضّر نفسها، وأعود لأخبرك. ( ينصرف)

سيمون : والآن أطلب منك يا داووس، إذ أنت وحدك الذي حقّقت لي هذا الزّواج...

داووس : أنا وحدي فعلا.

سيمون : استمرّ في جهودك لإصلاح ابني.

داووس : سأفعل وحقّ هرقل* بكلّ تفان.

سيمون : تستطيع ذلك الآن وهو غاضب عليها.

داووس : اطمئنّ.

سيمون : قل لي إذن أين يوجد حاليّا.

داووس : سيكون عجبا إن لم يكن بالبيت.

سيمون : سأذهب إليه وأخبره بكلّ ما قلت لك. ( ينصرف)

داووس : ( مخاطبا نفسه) تبّا. ماذا يمنعني من الانطلاق إلى الطّاحونة رأسا؟ لم يبق لي مجال للاستعطاف، فقد أربكت كلّ الأمور: خدعت سيّدي وورّطت ابنه في هذا الزّواج، عملت اليوم على تحقيقه بدون رغبة بنفيلوس بل غصبا عنه. شاهت الحيل! لو لم أتدخّل لما حدث أيّ سوء، وها أنا أرى النّتيجة: هلكتي. ليت لديّ هنا ما أرمي من أعلاه بنفسي في هاوية سحيقة.

 

المشهد الخامس (607-624)

بنفيلوس، داووس

بنفيلوس: ( مخاطبا نفسه) أين ذاك المجرم الّذي أودى بحياتي؟

داووس : ( مخاطبا نفسه) رحتُ في داهية.

بنفيلوس: ( مخاطبا نفسه) أعترف أنّي أستحقّ ما جرى لي، لفرط خؤوري وقلّة حيلتي. كيف سلّمت مصيري لعبد حقير! ها أنا الآن أدفع ثمن حماقتي. لكنّ فعلته لن تمرّ بلا عقاب.

داووس : ( مخاطبا نفسه) أعلم أنّي سأسلم مستقبلا من كلّ سوء إن أنج الآن من هذه المهلكة.

بنفيلوس: ( مخاطبا نفسه) ماذا أقول الآن لأبي؟ أأنكر رغبتي وقد وعدت السّاعة بالزّواج؟ من أين لي بجسارة كافية لأُقدِم على ذلك؟ لا أدري ماالعمل الآن.

داووس : ( مخاطبا نفسه) ولا أنا بالتّحقيق، رغم اجتهادي. سأقول إنّي سأجد حلاّ، لأؤخّر قليلا موعد العقاب.

بنفيلوس: ( مناديا على داووس) يا!

داووس : ( مخاطبا نفسه) رآني.

بنفيلوس: أنت أيّها الرّجل الصّالح*، ما قولك؟ أترى في أيّ مأزق ورّطتني نصائحك السّديدة؟

داووس : لكنّي سأخلّصك.

بنفيلوس: ستخلّصني؟

داووس : طبعا يا بنفيلوس.

بنفيلوس: كما فعلت السّاعة بلا شكّ.

داووس : بل آمل أفضل من ذلك.

بنفيلوس: أتريدني أن أصدّقك يا لئيم؟ أيمكنك إصلاح وضع محصور ميئوس منه*؟ أأعوّل عليك أنت الّذي ألقيت بي اليوم من وضعي الآمن في متاهة هذا الزّواج؟ أما قلتُ لك إنّ هذا سيحصل؟

داووس : قلتَ.

بنفيلوس: ماذا تستحقّ؟

داووس : أشدّ العقاب. لكن دعني أعُد  من غشيتي قليلا: وسأتبيّن المخرج حالا.

بنفيلوس: ليس لي مع الأسف متّسع من الوقت لأعاقبك كما أريد، فعليّ الآن الاحتياط لنفسي قبل الانتقام منك.

 

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